नागौर दीपावली धनतेरस 2025: परंपरा, रौनक और बाजारों में उमंग से भरा माहौल

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नागौर. धनतेरस शनिवार को है और इस शुभ अवसर पर नागौर दीपावली धनतेरस की चमक अपने चरम पर है। बाजारों में खरीददारों की भीड़, दुकानों पर जगमगाते दीये और नई डिजाइन वाले सोने-चांदी के जेवरों की रौनक ने पूरे शहर को उत्सवमय बना दिया है। हर कोई अपने घर के लिए कुछ शुभ खरीदने में व्यस्त नजर आ रहा है।

धनतेरस पर नागौर में परंपरा और आस्था का संगम

धनतेरस का पर्व नागौर में केवल खरीदारी का दिन नहीं, बल्कि समृद्धि और शुभता का प्रतीक है। लोग मानते हैं कि इस दिन लक्ष्मी और कुबेर की पूजा करने से घर में धन की वर्षा होती है। इस विश्वास के साथ हर घर में दीये जलाए जाते हैं और बाजारों में रौनक देखते ही बनती है।

स्थानीय परंपरा के अनुसार, धनतेरस की शाम को घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। लोग मिट्टी के दीये, चांदी के सिक्के, बर्तन और आभूषण खरीदते हैं ताकि पूरे वर्ष घर में समृद्धि बनी रहे।


नागौर के बाजारों में धनतेरस की रौनक

धनतेरस के दिन नागौर के सोने-चांदी बाजार, घंटाघर क्षेत्र, और गांधी चौक में भारी भीड़ देखी जा रही है।
यहां के प्रमुख आभूषण विक्रेता ग्राहकों को नई डिजाइन की रेंज दिखा रहे हैं—परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम।

  • सोने-चांदी के जेवरों की आकर्षक वेराइटी
  • सजावटी दीपक और पूजा सामग्री की बढ़ती मांग
  • कपड़ों और फैंसी आइटम्स से सजे बाजार
  • मिठाइयों की दुकानों पर लंबी कतारें

धनतेरस पर खरीदारी करना शुभ माना जाता है, इसलिए हर वर्ग के लोग अपनी क्षमता अनुसार सोना, चांदी, बर्तन या नई वस्तु खरीदते हैं।


नागौर दीपावली की प्राचीन परंपरा: एक झलक इतिहास की

नागौर की दीपावली का इतिहास बहुत पुराना है। यहां के बुजुर्ग बताते हैं कि पहले दीपावली पर घरों में मिट्टी के दीयों से पूरा मोहल्ला रोशन किया जाता था। महिलाएं घर के आंगन में रंगोली बनातीं, और बच्चे पटाखों से वातावरण को आनंदमय बना देते थे।

आज भी नागौर में दीपावली का यही पारंपरिक रंग देखने को मिलता है—बस समय के साथ सजावट के तरीके बदल गए हैं। घरों में एलईडी लाइटें, रंग-बिरंगे झालर और डिजाइनर दीयों ने पारंपरिक सजावट को आधुनिक रूप दे दिया है।


नागौर दीपावली धनतेरस की मान्यता: क्यों खास है यह पर्व?

धनतेरस को “धन्वंतरि त्रयोदशी” भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।
नागौर में इस कथा का विशेष महत्व है—यहां कई परिवार इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं और स्वास्थ्य की कामना करते हैं।

नागौर में धनतेरस की पूजा विधि:

  1. घर की साफ-सफाई और मुख्य द्वार पर दीपक जलाना
  2. भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर की प्रतिमा स्थापित करना
  3. धूप-दीप से आरती और शुभ मंत्रों का जाप
  4. सोना, चांदी या तांबे का बर्तन खरीदना
  5. परिवार के सभी सदस्यों के साथ दीपदान करना

यह पूजा विधि पीढ़ियों से चली आ रही है और नागौर के लोगों के लिए यह केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि पारिवारिक एकता का प्रतीक भी है।


प्रवासी नागौरी परिवारों के लिए दीपावली का संदेश

नागौर के जो लोग देश-विदेश में रहते हैं, उनके लिए भी नागौर दीपावली धनतेरस का यह पर्व भावनाओं से जुड़ा हुआ है। वे इस दिन अपने परिवार से वीडियो कॉल पर पूजा करते हैं, घरों में नागौर की तरह दीप जलाते हैं और अपने बचपन की यादों को फिर से जीते हैं।

यह परंपरा नागौर की सांस्कृतिक एकता और भारतीय मूल्यों को पीढ़ियों तक जोड़ने का काम कर रही है। दीपावली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि अपनेपन और उम्मीद का प्रतीक है—जो नागौर की मिट्टी से जुड़ा हर व्यक्ति महसूस करता है।


दीपावली की तैयारियों में जुटा नागौर: उल्लास और उम्मीद से भरा माहौल

जैसे-जैसे दीपावली करीब आ रही है, नागौर की गलियां, बाजार और मोहल्ले रोशनी से जगमगाने लगे हैं। कपड़ा बाजारों में ग्राहकों की भीड़ बढ़ रही है, मिठाइयों की खुशबू हर गली में फैली है, और हर चेहरे पर खुशियों की चमक दिखाई दे रही है।

लोगों में उम्मीद है कि यह दीपावली हर घर में खुशियां, स्वास्थ्य और समृद्धि लेकर आएगी। व्यापारी भी उत्साहित हैं क्योंकि पिछले वर्षों की तुलना में इस बार बिक्री में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।


नागौर दीपावली धनतेरस 2025 की प्रमुख बातें:

  • धनतेरस का पर्व शनिवार, 25 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।
  • नागौर में लक्ष्मी-पूजन 6:45 बजे से 8:30 बजे तक शुभ मुहूर्त में होगा।
  • बाजारों में 30% तक छूट पर सोने-चांदी के जेवर उपलब्ध हैं।
  • स्थानीय कारीगरों की मीनाकारी और हस्तशिल्प वस्तुएं ग्राहकों को आकर्षित कर रही हैं।

आधुनिकता का सुंदर संगम

नागौर दीपावली धनतेरस सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि नागौर की संस्कृति, परंपरा और आत्मीयता का जीवंत उदाहरण है। यहां हर दीप, हर रंगोली और हर मुस्कान इस बात की गवाही देती है कि नागौर आज भी अपनी जड़ों से जुड़ा हुआ है—और यही उसकी सबसे बड़ी ताकत है।


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